बादळां की पंचात।

बादळां की पंचात किसान अर बदल की कहाणी सै जो बहोत पुराणे टेम तै म्हारे बड्डे-बूढ़े सुणाते आये।एक बै  सारे बादळां नै कठे होकै पंचात करी। पंचात का मुद्दा यो था के भाई सबकी छुट्टी होवे सै, पर हामनै आज लग कोए छुट्टी नहीं करि। लाम्बी चौड़ी गहमा-गहमी पाछै पंचात नै फैसला लिया अक हम आगले दस साल ताही नहीं बरशा गे, अर अपणा आज ताही का छुट्टी छुट्टी का कोट्टा पूरा करा गे।

ढिंडोरा पीट गया। छोटे-बड़े सारे किसाना नै चिन्ता होगी। अक भाई जब मिह ये ना बरसे तो हम भी ठाली होगे। अर नाराज से होकै सबनै आपने हळ कुण मै धर दिए अक भाई इब दस साल पछै सँभाळा गे इन नै।  अर बात बी साची थी जब बारिश ए ना होगी तो हळ का के काम रह गया।
बादळां की पंचात।

 कामयाबी उन्नै ये मिल्या करे जो मुश्किल टेम मै बी महनत करी जा से। 

पर एक किसान फेर बी अपना हळ ले कै रोज खेत मै जाले अर अपणी धरती नै बावण लाग ज्या।ईब भाई बादळ परेशान ! अक आच्छा घुचडू सै, जब बेरा रहा अक बारिश ना होवै दस साल ताहि फेर बी दुखी होरया सै। सारे अगड़-पडोसी अर गाम आले बी उसनै बावला कह कै ठठा बणाण लागे।

देखते-देखते कई दिन होगे।एक दिन बदला के सरपंच पै डट्या नहीं गया, अर उसनै किसान पै बूझ ली। बोल्या भाई जब तन्ने बेरा रही एक दस साल मिह नहीं बरसै फेर बी तू क्यू रोज-रोज खेत मैं आके मेहनत करा करै।
बादल की बात सुण कै पासिन्या मै तर किसान बोल्या अक बावले भाई या बात तै मै बी जाणु सू अक दस साल मिह ना बरषै, पर मै रोज-रोज हळ न्यू चलाऊ सू अक दस साल लांबा टेम हो सै। मे हळ चलणा भूल गया तै। ज्य ताहि रोज हळ चलाऊ सू ताकि मै भूलू कोन्या।

किसान की बात सुण कै बादला के सरपँच नै बी टैण्ट खुजाई अर सोचण लाग्या अक या बात तै किसान भाई की साची सै, कदै दस साल मैं हम बी बरसणा भूल गे तो ?

फेर के था सरपँच नै तुंरत पाया पँचायत बुलाई अर किसान आली बात सारे बदला तै समझाई।  सारे बादल छुट्टी कैंसल कर के मिह बरसाण लागे।  बारिश चोखी होई। अर जो एक किसान रोज हळ ले कै जाया करता उसकै खूब धन होया।  अर बाकी जिन नै अपणे हळ कुण मै धर राखे थे उनके ना  होई धान्श बी। होती बी कित्ते हळ कुण मै जो धर दिये थे।

शिक्षा : कामयाबी उन्नै ये मिल्या करे जो मुश्किल टेम मै बी महनत करी जा से।

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