Bharastachar - Jitender Dahiya Halalpuria

काले धन से बैंक भरे और देशभक्त का रखते भेष
भ्रष्टाचार का ये परिवेश अब नहीं सहेगा भारत देश.

कार्यालय कोई हो सबमे हाल नज़र ये आते है
बिना रिश्वत के कोई फ़ाइल आगे नहीं चलाते है
अपनी जेबें भरने को यहाँ जेब गरीब की कटती है
रिश्वत रूपी ये मिठाई बहुत ऊपर तक बँटती है
भ्रष्टाचारी की कोर्ट अलग हो और फाँसी का चलेगा केस
भ्रष्टाचार का ये परिवेश अब नहीं सहेगा भारत देश

अपनी कुर्सी बने रहे यूँ लोगों को लड़वाते है
दो लोगों की कहासुनी को दंगो तक पहुंचाते है
इसके बाद भाषण का पन्ना पहले ही है भरा हुआ
जख्मी को है एक लाख और 2 लाख का मार हुआ
जनता को मोहरे समझे और नेता मिलकर खेले चेस
भ्रष्टाचार का ये परिवेश अब नहीं सहेगा भारत देश

न्यायालय सिर्फ आलय बना कुछ काले कोटों वालों का
न्याय खिलौना बन बैठा मुट्ठीभर नोटों वालों का
घोटाले में घोटाला करते जो लड़ते केस घोटालों का
कभी किसी नेता कपो सजा हुयी एक छोड़ उदाहरण चौटालों का
अब जनता की ही लगे कचहरी और मुलजिम को करदे पेश
भ्रष्टाचार का ये परिवेश अब नहीं सहेगा भारत देश


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