Byah Pachhe - Jitender Dahiya Halalpuria

ब्याह होते ऐ जिब छोरा बहु के बस मै हो ज्या है
उसे दिन तै उस घर मै कलेश का राह हो ज्या है

माँ पड़ी रह कमरे मै बहु के पीछे पीछे भाज्या रह है
बहु हो ज्या सै भगवन जिसी उसकी पूजा सी करण मै लाग्या रह है
उसकी सारी साची मानन का दिमाग मै बहम इसा बड़ ज्या है
सही गलत का बेरा नहीं रहता बाबू तै भी लड़ ज्या है

जिस दिन घर मै माँ बाबू का दिल रो ज्या है
उसे दिन तै उस घर मै कलेश का राह हो ज्या है

भाइयां की बात भी भाति कोन्या बेबे भी घर सुहाती कोन्या
के सुख इसी बहु का जो दिन भी पो कै ख्वाती कोन्या
होना चाहवे आते ऐ न्यारी थोड़े दिन भी निभाती कोन्या
सासु भी चाहवे न्यारे कराने अपनी बेटी नै समझती कोन्या

जिस दिन अपने भान भाइयां की ताहि अपनापन खो ज्या है
उसे दिन तै उस घर मै कलेश का राह हो ज्या है

देख कै इसे छोरया नै शर्म घनी मैने आवे है
माँ नै गाडी मै बठावे पीछे बहु नै आगे बठावे है
माँ तै ना भुझे पानी भी बहु तै फ्रूट ख्वाव है
माँ लागण लागी दुश्मन अपनी सासु नै मम्मी बुलावे है

कह जितेंद्र उस घर का सुख चैन कती खो ज्या है
जित लुगाई हो ज्या लोग पर लोग लुगाई हो ज्या है


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