Mnne Mera Dada Yaad Aaya - Jitender Dahiya Halalpuriya

जित धोती सुख्या करती दादा की ,जिब उड़े दादी का ओढ़ना सूखता पाया
मने मेरा दादा याद आया ..

याद है हमने छोटे सयाने मेले मै लेके जाया करते
दादा चालते तेज़ इतनी हम भाजे भाजे जाया करते
जाके मेले में किते जलेबी किते कुल्फी खवाया करते
मेले मै जितने झूले थे सारया पै झुलाया करते

ईब फेर जिब वो मेले का टैम आया
मैने मेरा दादा याद आया

साँझ होती जिब दादा गैल्या बैठ कै रोटी खाया करते
दादा की बुरा हम अपनी रोटी पै धरवाया करते
जिब रोटी खाते खाट सारे एक कुत्ता बैठण आया करता
छोटे से तै दादा उस्तै रोज़ रोटी खवाया करता

आज जिब वो कुत्ता रोटी ताहि मेरी कैनया लखाया
मैने मेरा दादा याद आया

खांणा खाके सारे बालक घर तै बाहर आ जाया करते
कट्ठे होक सारे लुहकम लुहका खेलन लाग जाया करते
दादा नै सुणनी रागणी अर हम घणा रोला मचाया करते
फेर दादा हमने अपने डोगे तै डराया करते

आज फेर जिब वो डोगा मेरी आँखा के स्यामी आया
मैने मेरा दादा याद आया

पढ़े लिखें घने ना थे खेती तै घर चलाया 
खुद होये रहे माटी मै माटी पर हर बालक पढ़ाया
करी थी जो महनत आखिर मै उसका फल भी पाया
दुनिया तै जान तै पहल्या अपना हर बालक सुख मै पाया

कमरे मै लोटे ओड नै जिब दिवार पै दादा का फोटो नज़र आया
मैने मेरा दादा याद आया..



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टिप्पणियाँ

  1. भाई जितेंदर दहिया की कविता सुण कै कतई लठ सा गढ़ जा स्।

    राजेश दहिया
    पिंजौर पंचकुला
    हरयाणा

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