बेशक इबके दूर सही पर ना कलाई सुखी राखिये भाई...
मने भेझी पोहंची बाँध लिए अर आपै मिठाई चाखिये भाई..
आज उठी तड़के तै बचपन की बात याद एक आयी थी...
धागे के बदले रक्षा भाण की पापा नै समझायी थी..
तू बोल्या ठीक सै सारी उम्र मैं ध्यान भाण का राखूंगा..
पर या रक्षा घनी करे मेरी मैं भी इसके धागा बांधूगा..
मेरे मन मै वो ऐ प्यार भरा ना इसने कम आखिये भाई..
मने भेझी पोहंची बाँध लिए अर आपै मिठाई चाखिये भाई..
इब्ते किस्ते करेगा तू लड़ाई किस्ते तू नाराज़ होगा..
किस्ते कह गा तेरे ब्याह पीछे घर मै मेरा राज़ होगा...
जिब रिश्ता मेरा होया पक्का तू कितना राज़ी होया था..
पर विदाई मै देख मेरे आँसु तू कोली भरके रोया था...
इब ससुराल मै सुखी भतेरी ना चिंता कोए राखिये भाई...
मने भेझी पोहंची बाँध लिए अर आपै मिठाई चाखिये भाई...
इस रक्षाबंधन भाई मेरे कुछ तेरे तै माँगना चाहूँ सूं..
एक वादा मने करदे तू देखे झोली मैं फ्लाउँ सूं..
किते किसे भाण पै जुल्म होवे उसने सदा बचाइए तू..
हर औरत की इज्जत करके अपना फर्ज निभाइये तू..
मेरे बराबर मान सदा सबकी भाणा का राखिये भाई..
मने भेझी पोहंची बाँध लिए अर आपै मिठाई चाखिये भाई
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