दुनिया म्ह हों सं जितने फर्ज माँ बाप के हाम्णे निभा दिए बेटे सारे

दुनिया म्ह हों सं जितने फर्ज माँ बाप के हाम्णे निभा दिए बेटे सारे।
इब तेरी मर्जी बेटा सेवा करे तो कर दिए जब बुढ़ापे में टूटें म्हारे।।

जब तेरे होये की सुनी न्यारा ऐ आनन्द गात में छाया।
खुद आल्ये में सोई या तेरी माँ बेटा तू सूखे म्ह सुआया।
थोड़ा सा बड़ा होया तू आंगली पकड़ चालना सिखाया।
जब तू खावन लाग्या तो तेरे ताहीं मुँह त काढ़ खुवाया।
गलती होण प प्यार त समझाया ना धमकाया ना थप्पड़ मारे।।

किसे ढ़ालां की कसर ना छोड़ी बेटा पढ़ाण लिखाण में।
कदे कमी ना आण देई बेटा तेरे ताहीं प्यान खुवाण में।
अफ़सरां के बालकां त घाट ना राख्या उढ़ाण पहराण में।
तेरे शौक पूरे करण खातर बेटा बैठ गये हाम ठाण में।
बेटा बेटी इस जहान में किसने लागे बुरे बता मेरे बेटे प्यारे।।

तेरी नौकरी खातर बेटा टूम बेची किल्ले गहने धर दिये।
तू बी जाने स तेरे रिश्ते खातर रिश्तेदारां के छड़ घर दिये।
म्हारी सोची ना तन्ने ब्याह होते ऐ हाम न्यारे कर दिये।
तेरे बोले इन कड़वे बोलां नै बेटा छोल म्हारे जिगर दिये।
आपणे भीतरले में सब्र किये हाम खून के आँसू पीते जारे।।

तेरे किते ज़मीर बच रहा हो त बुढ़ापे में आ के सम्भाल लिये।
इस दुनियादारी इस समाज का बेटे थोड़ा सा कर ख्याल लिये।
घना दुःख देवां ना बस दो जूण की रोटी खातर हो काल लिये।
जै तेरे प वे बी ना पुगेँ तो उनकी बी तू कर बेशक टाल दिये।

हाम तो चाल दिये सुख शांति बनी रह घर में ""सुलक्षणा""  थारे।।

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