बाबु हाथ जोडूं सुं मेरी खातर तू मानज्या,
इंटरव्यू आ रहा स बाबु कीमे जुगाड़ कर ले।
किसे की सिफारिश तो कोणी आपणे धोरे,
रपियाँ खातर तू न्यू कर धरती गहणे धर ले।
एक ब नौकरी मिलगी तो भाग खुल ज्यागा,
धरती ने भी छुड़ा लेवांगे धरती कित भाजेगी।
सुथरे ठाडे घर का रिश्ता ले लेवांगे आपां,
बाबू छोरी आलां की घरां रोज टक्कर बाजेगी।
पढ़ाई की योग्यता नै आज कोय ना पूछता,
रपिये और सिफारिश चाले सं आजकाल।
नौकरी बिना बाबू आज कद्र कोणी होंदी,
नौकरी बिना ब्याह की बी रहज्या स टाल।
नौकरी सरकारी खातर बहोत पापड़ बेलने पड़े,
""सुलक्षणा"" नै बुझ लिए कितनी बाट देखी स।
एमए एमफिल पीएचडी उसने कर राखी स,
आड़े उसने लिस्टां में होती छाँट काट देखी स।
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