मेरी माने त पिया जी इब के इस ढ़ालां दीवाली मनाइये

मेरी माने त पिया जी इब के इस ढ़ालां दीवाली मनाइये।
छोड़ के विदेशी लाइट नै घरां माटी के दीये जलाइये।।

ये बेचारे इस दिन की खातर माटी पिट के दीये बनावें।
दूर दूर त फेर पिया जी उन दियाँ नै शहर में बेचन आवें।
बेच के इन माटी के दीये बेचारे आपणा त्यौहार मनावें।
जब ख़रीदन दीये जावे पिया जी घना मोल भाव ना करवाइये।।

पहलां लोग पिया जी रंग चाह में भर के त्यौहार मनाया करते।
देशी घी के दीये जला के अमावस्या की रात नै जगमगाया करते।
खीर हालवा पूरी पूड़े बना के ख़ुशी ख़ुशी मिलजुल खाया करते।
इब के कुनबे गेल्लाँ दीवाली मना पिया जी के वा हे रीत निभाइये।।

लोगाँ की सोच कितनी बदल गयी पिया जी त्यौहार नै बी दिखावे में विश्वास करें।
देशी घी त तेल प, तेल त मोमबत्ती प आये इब चाइनीज लाइट त प्रकाश करें।
त्यौहार प चोकलेट और नकली मावे की मिठाई खा के देही का नाश करें।
हाथ जोड़ कहूँ पिया जी तू बाज़ार की मिठाई ना घरां लाइये।।

बार त्यौहारां प विदेशी चीज खरीद के घना ऐ नुकसान ठावाँ साँ।
देशी चीज ना खरीद के विदेशी ख़रीदा न्यू धन विदेशां में खंदावाँ साँ।
झूठे दिखावे के चक्करां में पिया जी आपणी संस्कृति नै मिटावाँ साँ।

""सुलक्षणा"" की मान के पिया जी इन गरीब कारीगरां कान्ही लखाइये।।

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