हरियाणे में रुक्का पड़ रहा स खबर खखाटे का

हरियाणे में रुक्का पड़ रहा स खबर खखाटे का,
साची कहूँ और अखबारां में ओड़ रहा ना घाटे का।

सारे अखबार आले न्यू शुक्र मनावे यु छपे स हफ्ते में,
रोज छपे तो उनके दफ्तरां में होज्या काम सन्नाटे का।

राजनीति की छोटी बड़ी सारी खबर इसमें पावें,
इलेक्शना की यू बतावे कित कित मुकाबला स कांटे का।

देश विदेश व्यापार खेती बाड़ी की यू खबर खूब छापे स,
मंडिया के भाव छापे बेरा लागे भाव के स दाल आटे का।

रोज रोज यू सबका पसंदीदा अखबार बनता जावे स,
मारे स यू झूठ के मुंह प सच का रहपड़ झन्नाटे का।

""सुलक्षणा"" झूठी नहीं करती बड़ाई खबर खखाटे की,

सारे देश नै बेरा लाग रहा हरियाणे में इसके रुक्का पाटे का।

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