राम जी तू के कर के छोड़ेगा क्यूँ बिन आई मारे स

राम जी तू के कर के छोड़ेगा क्यूँ बिन आई मारे स।
तू बी सर्फ गरीब नै मारे यु रुक्का पड़ रहा सारे स।।

पहले तन्ने टेम प राम जी मी बरसाया कोन्या।
हम गरीब किसाना प तन्ने तरस खाया कोन्या।
क्यूँकर पेट पलेगा म्हारा न्यू तू लखाया कोन्या।
कई कई ब करी पुकार क्यूँ तू इब के सुखा तारे स।।

इतने में सब्र आया कोन्या फेर बाड़ी में करा नुकसान।
लागत बी पूरी होवे कोणी न्यू आफत में फंसी जान।
तू बी न्यू सोचे भरपेट रोटी क्यूकर खा ले किसान।
तेरे आगे किसे की पार बसावे ना न्यू किसान हारे स।।

इब जीरी पक के तैयार हुई तो मन में थोड़ी आस जागी।
देख तैयार फसल जीरी की राम तेरे मन में उचाटी लागी।
इब बेबखत तेरे जी में आँधी मी तूफान बरसान की आगी।
कौन से जन्म का बदला ले रा न्यू किसान विचारे स।।

तन्ने मारना स किसान त राम जी एक झटके में मार दे।
रोज रोज तड़पान की जगाहं एक ब गर्दन तू तार दे।
अधम बिचाले ना लटकावे राम जी कर आर या पार दे।
सुन ले राम जी ""सुलक्षणा"" तन्ने रोज पुकारे स।।

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