माँ विनती सुन ले विद्या का वरदान दे दे।
राह से ना भटकूँ इतना तू ज्ञान दे दे।।
माँ तेरे त इतनी अर्ज करूँ।
तेरे चरणां में यु शीश धरूँ।
ऋषि मुनियों सा मन्ने ध्यान दे दे।।
राह से ना भटकूँ इतना तू ज्ञान दे दे।।
मेरे प दया दृष्टि माँ तू फेर दे।
अज्ञान कदे आ के माँ ना घेर ले।
तेरी शरण में आयी माँ मान दे दे।।
राह से ना भटकूँ इतना तू ज्ञान दे दे।।
बुद्धि और ज्ञान का माँ तू मन्ने भंडार दे दे।
जिह्वा प वास कर माँ मिठास अपार दे दे।
कदे ना थके माँ कंठ में इतनी जान दे दे।।
राह से ना भटकूँ इतना तू ज्ञान दे दे।।
""सुलक्षणा"" माँ तेरी स्तुति गावे स।
सवेरे शाम पल पल तन्ने ध्यावे स।
माँ मन्ने जग में एक न्यारी पहचान दे दे।।
राह से ना भटकूँ इतना तू ज्ञान दे दे।।
राह से ना भटकूँ इतना तू ज्ञान दे दे।।
माँ तेरे त इतनी अर्ज करूँ।
तेरे चरणां में यु शीश धरूँ।
ऋषि मुनियों सा मन्ने ध्यान दे दे।।
राह से ना भटकूँ इतना तू ज्ञान दे दे।।
मेरे प दया दृष्टि माँ तू फेर दे।
अज्ञान कदे आ के माँ ना घेर ले।
तेरी शरण में आयी माँ मान दे दे।।
राह से ना भटकूँ इतना तू ज्ञान दे दे।।
बुद्धि और ज्ञान का माँ तू मन्ने भंडार दे दे।
जिह्वा प वास कर माँ मिठास अपार दे दे।
कदे ना थके माँ कंठ में इतनी जान दे दे।।
राह से ना भटकूँ इतना तू ज्ञान दे दे।।
""सुलक्षणा"" माँ तेरी स्तुति गावे स।
सवेरे शाम पल पल तन्ने ध्यावे स।
माँ मन्ने जग में एक न्यारी पहचान दे दे।।
राह से ना भटकूँ इतना तू ज्ञान दे दे।।
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