चाल ताऊ वोट गैरन चालाँ पांच साल में यु मौक़ा आवे स

छोरा: चाल ताऊ वोट गैरन चालाँ पांच साल में यु मौक़ा आवे स।
ताऊ: क्यूँ जाऊँ मैं वोट गैरन बता वोट गेरे हमने के ठयावे स।।

छोरा: वोट गैरन का अधिकार सबने मिला उसका फायदा ठाना चाहिए।
जो सबके सुख दुःख में काम आवे इसा आदमी नेता बनाना चाहिए।
जो सबके भले की सोचे इसा आदमी विधान सभा में पहुँचाना चाहिए।
इसे आदमी की वोट गेरनी चाहिए जिसने छत्तीस बिरादरी चाहवे स।।

ताऊ: झूठ नहीं बेटा जो दिखें शरीफ जीते पाछे वे हे गुंडे बन ज्यां सं।
इलेक्शना में हाथ जोड़ते फिरें जीते पाछे वे हे स्याहमी तन ज्यां सं।
सारी ज्गाहं कर के घपले बेटा दोनों हाथां त कमाए धन ज्यां सं।
चार साल ग्यारा महीने दिखे कोणी सिर्फ इलेक्शना में शक्ल दिखावे स।।

छोरा: ताऊ या कमी बी म्हारी स उन नेताओं के दोष किस ढ़ाला धर देवाँ।
हाम कदे जातपात के नाम प कदे शराब की बोतल में अपना नाश कर देवाँ।
आदमी के लछण देखे बिना उसकी बातां में आ वोट उसकी गेर देवाँ।
चंद रपिया में जो वोट ख़रीदे वो जीते पाछे ना टोहया पावे स।।

ताऊ : सही कहा बेटा तेरी बात कुछ कुछ त मेरे बी समझ में आवन लागी।
घना भट्ठा तो न्यू ऐ बैठ रहा स दुनिया जात देख बटन दबावन लागी।
कुछ रपियाँ और शराब की बोतल खातर जमीर बेच के खावन लागी।
सौ का तोड़ तेरे ज्यूँ बेटा दुनिया में कोय कोय समझावे स।।

छोरा: जै कोई बी उम्मीदवार आच्छा ना लागे तो ताऊ नोटा का बटन दबा दिए।
निर्दलीय, क्षेत्रीय पार्टी और दल बदलू नै ताऊ वोट हरगज बी ना दिए।
नेशनल पार्टी के उम्मीदवार ने ऐ चुनिए ताऊ इतना कहन पुगा दिए।
इन छोटी छोटी बातां का ख्याल करिए इन त देश आगे जावे स।

ताऊ: उजाला कर दिया बेटा तन्ने आँखां प पड़ा जाला हटा के।
जी राजी कर दिया बेटा तन्ने इतनी ज्ञान भरी बात बता के।
इब मैं बी अपना फर्ज निभाऊंगा बेटा ओरां नै समझा के।

धन्य स ""सुलक्षणा"" जो लोगाँ नै दिन रात जागरूक बनावे स।।

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