लोग दिखावा रहग्या जगत में सब झूठी शान दिखावें सं

लोग दिखावा रहग्या जगत में सब झूठी शान दिखावें सं।
जिनके घरां मरे भूखे माँ बाप वे बाहर भंडारे चलावें सं।।

बूढ़े माँ बाप नै झिडकें घरां बाहर प्रेम रस की बरसात करें।
भाई का सर काटन नै तैयार रहें बाहर भाईचारे की बात करें।
बाहण बेटी त बोलें कोन्या बाहर आदर दुसरां का दिन रात करें।
घरां पानी का गिलास प्यावें कोणी बाहर प्याऊ खुलवावें सं।।

सास ससुर की सेवा करती कोन्या बहु पर गुरु बनाती हांडे सं।
जेठ खसम नै ढ़ेड कह के बोलें पर गुरुआँ के पाँ दबाती हांडे सं।
कुनबे नै टेम प रोटी देवें कोन्या पर वे बामण जिमाती हांडे सं।
मन में रह पाप पर लोग दिखावा वे भगवान नै मनावें सं।।

आज गऊशाला और मंदिर बना लोग खुद की गौज भरण लागे।
कुछ बन के धर्म गुरु माँ बाहणा की इज्जत प नित धरण लागे।
भतेरे बन के नेता भोली भाली जनता का शोषण करण लागे।
बने हांडे ये इज्जतदार पर इनके कारनामे घने काले पावें सं।।

साच का सौदा कर झूठ बेचन नै आज लोग कलम ठा रहे सं।
चंद सिक्कां की खातर अपने ज़मीर की खुली बोली ला रहे सं।
""सुलक्षणा"" बच के रहिए आज लोग चेहरे प मुखोटा चढ़ा रहे सं।

भोले भाले बन कै लोग दूसरां नै अपने जाल में फंसावें सं।।

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