2017-2018 के मुकाबले 2019 मै बढ़िया बारीश के आशार - मौसम विभाग।

मौसम विज्ञानिओ का अनुमान स अक इस बार मानसून मजबूत रह गा पाछले साल के मुकाबले। जया ते चिंता करण की जरूत कोन्या।  पहल्या लागै था एक "अल नीनो" की सम्भावना के कारण मानसून कमजोर रह जय गा। एशिया की तीसरी सब ते बड्डी अर्थव्यवस्था भारत ताई मजबूत मॉनसून बहोत जरूरी है, क्यू की भारत एक कर्षि प्रधान देश है।
2017-2018 के मुकाबले 2019 मै बढ़िया बारीश के आशार - मौसम विभाग।

या बात पक्की सै अक "अल नीनो" का असर इबकी बार नहीं होगा

मौसम विभाग के बड्डे अफसर नै कही से अक म्हारे देश की तक़रीबन 186 ख़राब की अर्थव्यवस्था कृषि पे दारमदार सै।अर इस अर्थव्यवस्थाकी मजबूती तायी मजबूत मानसून का होणा बहोत जरूरी है।  मौसम विभाग के अफसर नै बताया सै देश केन आले इलाके के केरल मै मानसून 1 जून तायी पहुंच जागा। अर हरियाणा, पंजाब अर राजस्थान कहनी सितंबर ताई रिमझिम बारिश सुरु होण की संभावना बताई गयी सै।
देश मैं 26 करोड़ ते घणे किसान चावळ, ईंख, मक्का,कपास अर सोयाबीन जीसी बढ़िया फसल ताई बारिश की बात देखे सै। देश की लगभग आधी खेती बाड़ी आली धरती परंपरागत सिचाई साधना त नदीदी है। बारिश हो ज्या तो ये उड़े कीमे खेती हॉवे सै , त वै किसान बारिश की घणी बाट देखी जा सैं। मौसम विभाग के महानिदेशक रमेश नै कही सै, इब्बै मानसून के बारे मैं कहणा जल्दबाज़ी होगी, पर या बात पक्की सै अक "अल नीनो" का असर इबकी बार नहीं होगा, अर याहे बात मौसम वैज्ञानिक भी कहण लाग रे सै।
थमने बता देवा के मजबूत "अल नीनो" के कारण ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण-पूर्वी एशिया समेत भारत मै इस साल ख़राब मानसून के कारण सूखे काब्योंत बताया गया था। 2014- 2015 ख़राब मानसून के कारण बहोत सारे किसाना कै घणा नुक्शान होग्या था।
2017-2018 मै 91 त 96 फीसदी बारिश होई थी,  पर एस साल 96-104 फीसदी बारिश होण की संभावना करी जा री सै। 

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