फागण की हरियाणवी कविता।


फागण आवै जब भी तै मन म्ह मोर सा नाचण लाग ज्या सै
किसे के घर म्ह ब्याह के ढ़ोल बाजदे सुणे तो ब्याह के साए म्ह लाड्डूआं का स्वाद सा आण लाग ज्या सै
भोले का बरत आवै जब भोले नै मनाण का चाह लाग ज्या सै
म्हारे गाम म्ह शिवजी भोलेनाथ जी के शिवाले म्ह कसूती भीड़ सी लाग ज्या सै
फेर भोले की शिवरात्रि पाच्छै अपणी ब्याहली छोरियां नै होली के सिद्धे म्ह कौणसे रंग का सूट, कितणा घी कट्ठा करया सै अर कितणी मिठाई भेजूं .......मां की ममता का यो बेटी के दिल म्ह प्यार जाग जा सै
फेर आवै सै होली रै भाईयों  कई दिन पहल्यां ढ़ाल बणाण का चाह सा भर जावै सै
फौजी भाई जो ड्यूटी कर रहे सीमा पै
उनके मनां म्ह भी त्यौहार पै घऱ की याद जाग ज्या सै

कविता लिखाण अर सनाण आली : सोनिया सत्या नीता 


किसी होली किसी दीवाली बिना घऱ के चांद के ,......न्यू सोचकै एक मां भी कालजा डाट ज्या सै......
आवै जब होली तो माहौल बणे इसा जमा राम भी धरती पै रम ज्या सै
फागण की पणवासी नै आगी रै होली
गाबरु छोरयां म्ह उदमस सा जाग ज्या सै
हांसी ठट्ठे का त्यौहार यो बड़ढे बुड्ढयां के मन म्ह भी पुराणी याद जाग ज्या सै
पहल्यां किते गोबर गोलकै, गार्या लेकै अर कति माटी म्ह माटी होके होली खेल्यां करदे .....टेम बदल ग्या ईब यो सोच के वे बुजुर्ग भी रंग लगाण लाग ज्या सै
होली का डांडा धुकै जब तो घर की बुढ़ी बडेरी गेल्यां बालकां का टोल लाग्जया सै
धोंक मराण चाल्लै जब होली के डांडे की ..ढ़ाल किसकी सबतै ऊंची टंगेगीं यो देखण का चाह सा जाग ज्या सै
भई, त्यौहार सै होली का यो तो भाभियां म्ह भी कोलड़े बणाण का चाह सा जाग ज्या सै
कई तो इसी हो सै कोलड़े के बीच म्ह रस्सी भी बाट लेंगी
जिस गाबरु कै मारेंगीं कति सपाड़ सा तार देंगीं
फेर भी हांसी मखौल के इस खेल म्ह दर्द महसूस कोनी होंदा दूध दही के खाणे की मौज सी जाग ज्या सै
पानीपत के नौल्थे की होली अर पलवल म्ह बंचारियां की होली 
कितै कोलडयां की होली तो कितै ब्रज की ढ़ालां मीठी मीठी होली
हरियाणा की हर जगह न्यारे न्यारे ढ़ाल होली मणाण का रंग सा जम जावै सै
घरां म्ह बणै खीर चूरमा तो खाणे म्ह भी स्वाद सा आज्या सै
 पूजा धोंका गाम के नगर खेड़े नै...बड़े बुजुर्गा के आशीर्वाद गेल्यां बरकत भी आज्या सै
ये त्यौहार बणै सै सदियां तै....


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       कविता लिखाण अर सनाण आली : सोनिया सत्या नीता 


राखै सै ...चलाए सै म्हारै बुजुर्गां नै
जब जब आवै ये त्यौहार तै म्हारै दादा दादी की भी .याद सी आज्या सै
 रंग लगाईयों...गुलाल लगाईयों..खीर चुरमे की मिठास गेल्य़ां ..भाईचारे का प्यार बढ़ाईयो...तो होली के इस त्यौहार पै रंग सा छा ज्या सै...गली गाल सब रंग बिरंगी हरियाणे म्ह ...कोलड्यां की मार गेल्यां या होली गिले शिकवे भुलाती हर साल आज्या सै...

कविता लिखाण अर सनाण आली : सोनिया सत्या नीता 

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